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20 Apr 2024 · 1 min read

3295.*पूर्णिका*

3295.*पूर्णिका*
🌷 हम हँसाने का बहाना ढूंढते हैं 🌷
22 22 2122 2122
हम हँसाने का बहाना ढूंढते हैं ।
न यहाँ रोने का बहाना ढूंढते हैं।।

यूं संवरती महकती है जिंदगी भी।
साथ निभाने का बहाना ढूंढते हैं।।

पूरी होती हसरतें भी आज दिल की।
फोकट पाने का बहाना ढूंढते हैं ।।

मतलब साधे रोज देखो मतलबी सब।
काम बनाने का बहाना ढूंढते हैं ।।

मिलती खेदू मंजिलें भी मेहनत से।
जग भटकाने का बहाना ढूंढते हैं।।
………✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
20-04-2024शनिवार

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