2766. *पूर्णिका*
2766. पूर्णिका
पूरे सब ख्वाब हुए
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पूरे सब ख्वाब हुए।
यूं लाल गुलाब हुए ।।
अपनी देख हुकूमत ।
खुद आज नवाब हुए ।।
बदले हालात यहाँ ।
जब पत्थर जवाब हुए।।
पाने की चाहत में ।
दिल भी बेताब हुए ।।
रंगे दुनिया खेदू।
बेजोड़ हिसाब हुए ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
26-11-2023रविवार