ये जो नफरतों का बीज बो रहे हो
कभी धूप तो कभी खुशियों की छांव होगी,
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
दो अनजाने मिलते हैं, संग-संग मिलकर चलते हैं
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
जिसने अपने जीवन में दुख दर्द को नही झेला सही मायने में उसे क
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
जाहिलों को शिक्षा, काहिलों को भिक्षा।
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
" महक संदली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
साधा तीखी नजरों का निशाना