Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !

यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !

शैशव में आदर्शो की गठरी सर माथे,
यौवन में कर्तव्यबोध, उल्लास भगाता,
घिसी-पिटी राहों पर चलने की मज़बूरी,
और उमंगें सत्वहीनता से पदमर्दित ।
क्षमताओं, साधनों, परिस्थितियों
में कैसी यह घोर विषमता ?
यह जीवन की साँझ और यह लम्बा रस्ता !

जो गुरुवों ने, पितृजनों ने समझाया , सब झूँठा निकला
फिर भी झूंठे आदर्शों को छोड़ सके क्या ?
मूलभूत जो नियम, नींव जो हैं समाज के
उनसे ही सब छले नहीं हैं गए यहाँ क्या ?
कीट पतंगे सदा नियम जालों में फँसते
मकड़जाल क्या बाँध किसी हाथी को सकता ?
इससे तो वह ‘मत्स्य न्याय’ ही ज्यादा अच्छा
प्रकृति नियम पहचान हिरन संतोष मानता
किसी “शेर से छला गया”— यह दुःख न होता ।
यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !

सम्बन्धों की सहज नींव– बस एक अटल विश्वास ,
और इसी विश्वास की जड़ में छिप हुआ विष-वास ।।

दोषी कौन कौन निर्दोषी , कौन सका पहचान ?
हर निश्छल मन को कुरेद कर ढूंढा जाता स्वार्थ ।

अस्थिर सदा प्रेम बुनियादें , ज्यों पानी पर लेख
झूँठा झूँठा बस झूँठा है कथित प्रेम-आधार ।।

“चाहों का कोई जाल नहीं था “– क्यों कोई विश्वास करे ?
झूँठे आरोपों को सहते तन मन सारा टूट चुका अब
अब तो अंतिम नींद पास आ , तेरा आलिंगन ललचाता
जीवन की यह साँझ और यह लम्बा , कितना लम्बा रस्ता !।

स्वरचित , मौलिक ( kishoreveena.blogspot से )
रचयिता : (सत्य) किशोर निगम

Language: Hindi
1 Like · 186 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kishore Nigam
View all
You may also like:
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
Manisha Manjari
सत्यता वह खुशबू का पौधा है
सत्यता वह खुशबू का पौधा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
परिवार होना चाहिए
परिवार होना चाहिए
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"परिवर्तन"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं और मेरा
मैं और मेरा
Pooja Singh
सत्य का संधान
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैंने  देखा  ख्वाब में  दूर  से  एक  चांद  निकलता  हुआ
मैंने देखा ख्वाब में दूर से एक चांद निकलता हुआ
shabina. Naaz
जै जै जग जननी
जै जै जग जननी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मिली भाँग की गोली 【बाल कविता 】
मिली भाँग की गोली 【बाल कविता 】
Ravi Prakash
उसको फिर उससा
उसको फिर उससा
Dr fauzia Naseem shad
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
सत्य कुमार प्रेमी
बाक़ी है..!
बाक़ी है..!
Srishty Bansal
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
Anil chobisa
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
“ इन लोगों की बात सुनो”
“ इन लोगों की बात सुनो”
DrLakshman Jha Parimal
शीर्षक-मिलती है जिन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी
शीर्षक-मिलती है जिन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्यार क्या है
प्यार क्या है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
काश
काश
Sidhant Sharma
2822. *पूर्णिका*
2822. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
परिपक्वता (maturity) को मापने के लिए उम्र का पैमाना (scale)
परिपक्वता (maturity) को मापने के लिए उम्र का पैमाना (scale)
Seema Verma
💐प्रेम कौतुक-320💐
💐प्रेम कौतुक-320💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
पूर्वार्थ
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
शुद्धिकरण
शुद्धिकरण
Kanchan Khanna
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
" भुला दिया उस तस्वीर को "
Aarti sirsat
Yesterday ? Night
Yesterday ? Night
Otteri Selvakumar
आ ठहर विश्राम कर ले।
आ ठहर विश्राम कर ले।
सरोज यादव
Loading...