बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार
*भर कर बोरी रंग पधारा, सरकारी दफ्तर में (हास्य होली गीत)*
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
हल्की हल्की सी हंसी ,साफ इशारा भी नहीं!
बद मिजाज और बद दिमाग इंसान
वृक्षों का रोपण करें, रहे धरा संपन्न।
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मजदूर का बेटा हुआ I.A.S
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)