2445.पूर्णिका
2445.पूर्णिका
🌹मंजिल भी पग चूमे🌹
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मंजिल भी पग चूमे ।
अपना मन जग झूमे ।।
दुनिया है प्यारी-सी ।
गाकर अब खग झूमे ।।
दिल से दिल यूं गाते ।
मस्त मौला डग झूमे ।।
मिलते हमदोस्त यहाँ ।
बनके कब ठग झूमे ।।
रहबर हरदम खेदू ।
महके रग रग झूमे ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-8-2023बुधवार