Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2024 · 1 min read

20. The Future Poetry

The Future Poetry

Let a soul-searching poem
Stir my sensitive imagination
Creating profound prophetic
Lyric of serene substance
Transforming human beings
Into higher divine content
Who simply live for the nation
Caring and rearing its people
Like a temple of eternal love
Making all pervading environs
Free from lethal weapons
And devastating atom bombs.
Gandhi may not be born again
And light emitting small insects
Cannot enlighten inner concepts
Offering redemption from hatred
From our aggressive percepts,.
A pale of dense darkness
May soon descend again
After a short -lived illumination
Endangering universe and creation.
Why not poesy in scintillating rays
Of the blooming shining star
Stalk horizons of our hearts
Spreading light far and wide
And putting soothing palms
On our sleepy eyes
To make us astound
As Lord Krishna astounded Yashoda
Revealing to her his profound divine
or expounded numberless incarnations
To Arjuna before the battle of Mahabharata;
Let us awake and arise upright
And obliterate from the face of Earth
All the dark and the fiendish forces
To usher in an unending epoch of peace
Let Kaliyuga be not allowed to win any forts
Let there be poem of such a substance
Winning the hearts of humanity
For which Arvind the great seer
Made a prophesy
And given it a name of future poesy.

108 Views
Books from Santosh Khanna (world record holder)
View all

You may also like these posts

4050.💐 *पूर्णिका* 💐
4050.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*हरेली तिहार मनाबो जी*
*हरेली तिहार मनाबो जी*
Dushyant Kumar Patel
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
परिणाम से डरो नहीं
परिणाम से डरो नहीं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
पीले पात
पीले पात
आशा शैली
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?
मनोज कर्ण
रात भर नींद की तलब न रही हम दोनों को,
रात भर नींद की तलब न रही हम दोनों को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
२९०८/२०२३
२९०८/२०२३
कार्तिक नितिन शर्मा
बाबुल
बाबुल
Neeraj Agarwal
"उन्हें भी हक़ है जीने का"
Dr. Kishan tandon kranti
पत्थर
पत्थर
Arun Prasad
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
Rj Anand Prajapati
ऐसे कैसे हिन्दू हैं
ऐसे कैसे हिन्दू हैं
ललकार भारद्वाज
इस प्रथ्वी पर जितना अधिकार मनुष्य का है
इस प्रथ्वी पर जितना अधिकार मनुष्य का है
Sonam Puneet Dubey
है हुस्न का सौदागर...
है हुस्न का सौदागर...
आकाश महेशपुरी
निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
डी. के. निवातिया
सपनों को सजाना क्या
सपनों को सजाना क्या
अमित कुमार
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
Shashi kala vyas
जीवन को आसानी से जीना है तो
जीवन को आसानी से जीना है तो
Rekha khichi
एक दीया जलाया मैंने
एक दीया जलाया मैंने
Dheerja Sharma
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
Ravi Prakash
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
Nitesh Chauhan
स्त्री
स्त्री
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
*प्रणय*
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
कितना अच्छा था बचपन
कितना अच्छा था बचपन
shabina. Naaz
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
gurudeenverma198
Loading...