💝 जोश जवानी आये हाये 💝
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक 💐💐 अरुण अतृप्त
💝 जोश जवानी आये हाये 💝
सोच में रहा रात भर सो न सका रात भर।
करम का भरम मुझको सताता रहा रात भर।।
बचपन गुजरा बचपने में कुछ समझा कुछ न समझा।
आई तरुणाई तो जोशीला पन भी लाई साथ में।।
ऐसे में किसको किस चीज का ध्यान रहा ।
मैं मेरा मुझसा छाया रहता था हर पल हर तरफ ।।
सोच में रहा रात भर सो न सका रात भर।
करम का भरम मुझको सताता रहा रात भर।।
उतरी तरुणाई जोश भी उतरा एहसास हुआ सच्चाई में ।
क्या खो आया क्या गवाँ दिया भीगा मन तन्हाई में ।।
जो बड़े रहे जो ज्ञानवान थे बोल बोल के थक गये ।
मैं कहाँ समझने वाला था बो कहते रहे मैं सुनता रहा ।।
सोच में रहा रात भर सो न सका रात भर।
करम का भरम मुझको सताता रहा रात भर।।
मानी होती तो रोता क्यूँ जो सुन लेता तो पछताता क्यूँ।
अब गुजरा पल तो गुजर गया, उसका कैसा अफ़सोस भला ।।
दुनियाभर में सब लोग यही कहानी कहते आये ।
जब नशा जवानी चढ़ा रहा तब कौन कहाँ सुनते आये ।।
जब उतरी खुमारी जोशे जवानी राम राम रटने लगते।
दे देकर उपदेश सतत पट पटल हजारों भरा करते ।।
सोच में रहा रात भर सो न सका रात भर।
करम का भरम मुझको सताता रहा रात भर।।