ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बिजी तो हर कोई होता है,लेकिन अगर उनकी लाइफ में आपकी कोई वैल्
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अनुभव अमूल्य कसौटी हैं , मेरे पास एक दिपक हैं , जो मुझे मार्
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
- टेबिल टेनिस मेरे मन में छा गया टेबिल टेनिस वाली मन में आ गई -
"राहे-मुहब्बत" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
23/104.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
यादों में खोया हुआ हुं की तुम कभी ना कभी तो मुझे याद तो करो
छन्द सरसी: *जिनका कुशल प्रबन्ध*