■ चिंतन…
■ सीधी सी बात…
“धर्म” एक व्यापक शब्द है, जिसे किसी पंथ, मत या सम्प्रदाय से जोड़ कर देखना उचित नहीं। मेरे दृष्टिकोण से धर्म वह धारणा व जीवन-पद्धति है जो हमें विरासत में संस्कारों के साथ मिलती है। आगे हमारी पात्रता निर्धारित करती है कि हम उसे धारण करने के बाद कितना आत्मसात कर पाए। इसलिए पहला आंकलन व्यक्ति के संस्कार और विवेक का होना चाहिए। जो भले-बुरे हर कृत्य के पीछे होता है।
【प्रणय प्रभात】