ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
तूणीर (श्रेष्ठ काव्य रचनाएँ)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सतशिक्षा रूपी धनवंतरी फल ग्रहण करने से
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
फ़कत इसी वजह से पीछे हट जाते हैं कदम
*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
सवर्ण पितृसत्ता, सवर्ण सत्ता और धर्मसत्ता के विरोध के बिना क
प्रेम की डोर सदैव नैतिकता की डोर से बंधती है और नैतिकता सत्क
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
Wishing you a Diwali filled with love, laughter, and the swe
💐प्रेम कौतुक-450💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)