Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2024 · 2 min read

विक्रमादित्य के बत्तीस गुण

सिंहासन बत्तीसी प्राप्ति की कथा
भाग 1

इस ब्रह्मांड में भारत भूमि ही एक ऐसी पवित्र और पावन भूमि है जिसमें जन्म लेने के लिए देवता तक लालाहित रहते है इसी भारत भूमि में अनेकों ऐसे पवित्र नगर है जिसमें धर्म और न्याय की हमेशा जीत होती है इन्हीं में से एक है महत्वपूर्ण नगरी है उज्जैनी जहाँ 2100 बरस पहले एक न्यायप्रिय चक्रवर्ती राजा विक्रमादित्य का शासन काल था और जिनकी न्यायप्रियता के कारण ही उज्जैनी न्याय की नगरी के नाम से प्रसिद्ध हुई किंतु विक्रमादित्य के बाद सदियों तक उज्जैनी को उनके बराबर का राजा नहीं मिला और देखते ही देखते 1100 वर्ष बीत गये और तब आया राजा भोज का शासन काल राजा भोज जो महज एक शासक ही नहीं थे विद्वता, विनम्रता और बलशाली भी थे। माँ सरस्वती की विशेष कृपा थी राजा भोज पर। उन्होंने महज एक रात में रामायण को काव्य और कथा दोनों ही रूपों में लिख दिया था जहाँ राजा भोज नीति विवेक ज्ञान के उदाहरण थे वहीं धर्म अनुष्ठान में भी राजा भोज की गहरी आस्था थी। महाकाल के परम भक्त थे राजा भोज ।

राजा भोज महाकाल मंदिर से महल आते हैं वही पुरी उज्जैनी उनकी जय जय कार करती है महाराजा भोज की जय हो.. महाराजा भोज की जय हो.. तभी राजा भोज कहते हैं “शांत प्रजा जनों! राजा तो केवल एक है वो महाकाल.. मैं तो आपका और आपकी इस उज्जैनी का सेवक हूँ मेरे जीवन का एक मात्र उद्देश्य है आप सब का सुख अगर आप सब को सुख दे पाया तो अपने आपको अत्यंत सोभाग्यशाली समझूंगा। ”

राजा भोज की इसी उदारता और महानता का परिणाम था कि राजा भोज का नाम भी सिंहासन बत्तीसी के पन्नों पर अमर हो गया ।

जय महाकाल.. 🙏🏻

Language: Hindi
25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर....
अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
हैवानियत
हैवानियत
Shekhar Chandra Mitra
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
कवि रमेशराज
दादा की मूँछ
दादा की मूँछ
Dr Nisha nandini Bhartiya
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
Shweta Soni
मोदी जी का स्वच्छ भारत का जो सपना है
मोदी जी का स्वच्छ भारत का जो सपना है
gurudeenverma198
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
परिणय प्रनय
परिणय प्रनय
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मुस्कान
मुस्कान
Santosh Shrivastava
देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रेम जब निर्मल होता है,
प्रेम जब निर्मल होता है,
हिमांशु Kulshrestha
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
अनिल कुमार
अपेक्षा किसी से उतनी ही रखें
अपेक्षा किसी से उतनी ही रखें
Paras Nath Jha
न कल के लिए कोई अफसोस है
न कल के लिए कोई अफसोस है
ruby kumari
बच्चे (कुंडलिया )
बच्चे (कुंडलिया )
Ravi Prakash
सर्वनाम
सर्वनाम
Neelam Sharma
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िक्र तेरा लबों पर क्या आया
ज़िक्र तेरा लबों पर क्या आया
Dr fauzia Naseem shad
■ प्रणय_गीत:-
■ प्रणय_गीत:-
*Author प्रणय प्रभात*
"आरजू"
Dr. Kishan tandon kranti
समय
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
छोड़ कर मुझे कहा जाओगे
छोड़ कर मुझे कहा जाओगे
Anil chobisa
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
Vishnu Prasad 'panchotiya'
गीता में लिखा है...
गीता में लिखा है...
Omparkash Choudhary
दिल तोड़ना ,
दिल तोड़ना ,
Buddha Prakash
पहले एक बात कही जाती थी
पहले एक बात कही जाती थी
DrLakshman Jha Parimal
Loading...