Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2023 · 2 min read

■ एक_नज़्म_ख़ुद_पर

■ सफ़र में हूँ….
【प्रणय प्रभात】

सफ़र में हूँ नज़र के सामने केवल अँधेरा है।

अँधेरा यानि गुमनामी जो मेरे साथ है अब तक,
अँधेरा यानि नाकामी जो मेरे साथ है अब तक।
अँधेरा यानि गर्दिश वक़्त की जो साथ चलती है,
अँधेरा यानि वो हसरत अँधेरों में जो पलती है।
धुंधलका देखते ही देखते होता घनेरा है।।
सफ़र में हूँ नज़र के सामने केवल अँधेरा है।

हैं कुछ यादों के जुगनू साथ रह कर जगमगाते है,
अकेला तू नहीं अहसास जो अब भी दिलाते हैं।
दुआएं चमचमाती हैं कभी बर्क़े-तपां बन कर,
हमेशा साथ लगती हैं पिता बन के या माँ बन कर।
बहुत महफ़ूज़ रखता है ये जो रहमत का घेरा है।
सफ़र में हूँ नज़र के सामने केवल अँधेरा है।

क़दम साँसों के संग उट्ठे मिले रफ़्तार धड़कन से,
हमेशा से रही कोशिश लगे ना दाग़ दामन से।
बड़ी ख़्वाहिश थी फूलों की मगर कुछ ख़ार पा बैठा।
कभी सर आ गिरी शबनम कभी अंगार पा बैठा।
लबों ने बस कहा रब से बड़ा अहसान तेरा है।
सफ़र में हूँ नज़र के सामने केवल अँधेरा है।

हज़ारों रोज़ो-शब बीते महीने फिर बरस गुज़रे,
कई मौसम गए आए लगा आए कि बस गुज़रे।
लगीं कुछ उम्र की गाँठें गया बचपन जवानी भी,
हुआ अक़्सर लहू जब बन गया आँखों का पानी भी।
मगर थकना नहीं रुकना नहीं बस अहद मेरा है।
सफ़र में हूँ नज़र के सामने केवल अँधेरा है।

कहाँ पे ख़त्म होगा ये सफ़र मंज़िल कहाँ होगी,
मगर इतना समझता हूँ वहीं होगी जहाँ होगी।
बहुत ऊँची पहाड़ी के तले सूरज छिपा होगा,
उसी को खोजना होगा तभी चाहा हुआ होगा।
भले नज़रों में शब हो फिर भी ख़्वाबों में सवेरा है।
सफ़र में हूँ नज़र के सामने केवल अँधेरा है।

सफ़र मंज़िल का वायज़ है सफ़र ही खुशनुमा घर है,
दुआओं पर भरोसा है नहीं तक़दीर का डर है।
हज़ारों नेकियाँ कहतीं तुझे सूरज उगाना है,
कई क़समें बताती हैं सवेरा ले के आना है।
क़दम उस ओर उठते हैं जिधर सूरज का डेरा है।
मेरी आँखों में शब हो फिर भी सपनों में सवेरा है।।

#आत्म-कथ्य-
अपनी ज़िंदगी की तमाम अधूरी ख्वाहिशों और पूरी कोशिशों को समर्पित 😊😊😊

1 Like · 239 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जज्बात की बात -गजल रचना
जज्बात की बात -गजल रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
सोचा था सन्तान ही,
सोचा था सन्तान ही,
sushil sarna
3772.💐 *पूर्णिका* 💐
3772.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ਉਂਗਲੀਆਂ ਉਠਦੀਆਂ ਨੇ
ਉਂਗਲੀਆਂ ਉਠਦੀਆਂ ਨੇ
Surinder blackpen
अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति क्या है
अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति क्या है
प्रेमदास वसु सुरेखा
👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय*
जिसने अपने जीवन में दुख दर्द को नही झेला सही मायने में उसे क
जिसने अपने जीवन में दुख दर्द को नही झेला सही मायने में उसे क
Rj Anand Prajapati
कंटक जीवन पथ के राही
कंटक जीवन पथ के राही
AJAY AMITABH SUMAN
कैसा अजीब है
कैसा अजीब है
हिमांशु Kulshrestha
वफ़ा की कसम देकर तू ज़िन्दगी में आई है,
वफ़ा की कसम देकर तू ज़िन्दगी में आई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,
Manoj Mahato
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुझमें मुझसा नज़र नहीं आया ।
मुझमें मुझसा नज़र नहीं आया ।
Dr fauzia Naseem shad
क्या हूनर क्या  गजब अदाकारी है ।
क्या हूनर क्या गजब अदाकारी है ।
Ashwini sharma
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
वायु प्रदूषण रहित बनाओ।
वायु प्रदूषण रहित बनाओ।
Buddha Prakash
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तेरी यादों के सहारे वक़्त गुजर जाता है
तेरी यादों के सहारे वक़्त गुजर जाता है
VINOD CHAUHAN
عيشُ عشرت کے مکاں
عيشُ عشرت کے مکاں
अरशद रसूल बदायूंनी
"रविवार दो कर दे"
Dr. Kishan tandon kranti
सैनिक का सावन
सैनिक का सावन
Dr.Pratibha Prakash
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक मुक्तक
एक मुक्तक
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ରାତ୍ରିର ବିଳାପ
ରାତ୍ରିର ବିଳାପ
Bidyadhar Mantry
चाहता हूं
चाहता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
The thing which is there is not wanted
The thing which is there is not wanted
कवि दीपक बवेजा
Loading...