मैंने देखा है ये सब होते हुए,
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
कभी खामोश रहता है, कभी आवाज बनता है,
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं।
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
रिश्ते मांगने नहीं, महसूस करने के लिए होते हैं...
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
आर्या कंपटीशन कोचिंग क्लासेज केदलीपुर ईरनी रोड ठेकमा आजमगढ़
कल जिंदगी से बात की।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,
इठलाते गम पता नहीं क्यों मुझे और मेरी जिंदगी को ठेस पहुचाने
- लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है -