टूटने का महज मंजर दिखाई देता है
टूटने का महज मंजर दिखाई देता है!
नहीं महफूज अब ये घर दिखाई देता है!!
मैं कब तलक तुम्हें सीने से लगाऊंगा भला,
तुम्हारे हाथ में खंजर दिखाई देता है!!
बड़ा शातिर है पड़ोसी वो करे भी तो क्या!
उसे भी अपनों का ही डर दिखाई देता है!!
हाल बदतर हैं पेट भरने को रोटी भी नहीं!
मगर कश्मीर का केसर दिखाई देता है!!
रहनुमाओं ने मेरे आंख तरेरी जब से!
खौफ अंदर और बाहर दिखाई देता है!!
नफरतें खत्म होंगी और दोस्ती होगी!
बैर का लम्बा ना सफर दिखाई देता है!!
@विपिन शर्मा