फ़ासला
फ़ासला
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संभल-संभल के कदम रखना,
अंजान मुसाफिरों इस जग में,
जिन्दगी और मौत का फ़ासला,
बस क्षणभर का है।
पर गलतफहमियां मत पालना कभी,
अपने जीवंत रिश्तों में,
रिश्ते बर्बाद हुए यदि तो,
झूठ से सच का फ़ासला जीवनभर का है।
नजदीकियां हमेशा से खलता है अपनेपन को,
पर दूरियों की आड़ में ही रिश्ते बरकरार रहे,
दिल तड़पता है हकीकत में जो इन फ़ासलों से,
बस ख्वाबों में ही नजदीकियों का दौर आया।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १३/०६ /२०२२
ज्येष्ठ , शुक्ल पक्ष, चतुर्दशी ,सोमवार ।
विक्रम संवत २०७९
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