ज़मीर सो गया
*** जमीर सो गया ***
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जमीर तो है सो गया,
नसीब भी है खो गया।
जमीन तल से जा रही,
दिलेर पल में वो गया।
नसीम जब चलने लगी,
फ़क़ीर बनकर सो गया।
वजीर जो ना दे सका,
नसीर दर पर ढो गया।
शरीर मनसीरत ढला,
रफ़ीक आँसू धो गया।
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सुखविन्द्र सिंह. मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)