$ग़ज़ल
बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू मुखल्ला
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
_1212/212/122/1212/212/122
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मिले मुहब्बत तुम्हे सभी की दुवा हमारी यही रहेगी
तेरे लिए हर क़दम मुहब्बत सदा हमारी यही रहेगी//1
खिली रहो फूल बन निगाहें मेरी निहारें सदा तुम्हें ही
ख़ुशी इसी में बड़ी मिलेगी अदा हमारी यही रहेगी//2
जहाँ कहीं हम मिलें उठाकर नज़र मिलें हो हँसी लबों पर
इसी सिले की नज़र हमेशा वफ़ा हमारी यही रहेगी//3
कभी-कभी ग़लतियाँ सभी से हुआ करें माफ़ हम करेंगे
म़गर ग़लत रोज हो न सोचो रज़ा हमारी यही रहेगी//4
भुला सकें एहसान ऐसा कभी गँवारा नहीं हमें तो
करोड़ बदले करोड़ आदत नज़ा हमारी यही रहेगी//5
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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