कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
👉 सृष्टि में आकाश और अभिव्यक्ति में काश का विस्तार अनंत है।
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
💐प्रेम कौतुक-305💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
अपना अनुपम देश है, भारतवर्ष महान ( कुंडलिया )*
आप इसे पढ़ें या न पढ़ें हम तो बस लिखते रहेंगे ! आप सुने ना सुन
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तोता और इंसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बिडम्बना
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
अब जी हुजूरी हम करते नहीं