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29 Jul 2021 · 1 min read

$ग़ज़ल

बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
-1212/1122/1212/22

मिला लिया जिससे दिल मिले रहे हरपल
लिए मुहब्बत दिल में खिले रहे हरपल//1

असर कभी कम देखा नहीं मुहब्बत का
सुकूँ बने अरमाँ दिल सिले रहे हरपल//2

जिधर गये हमने साफ़ ही रखी नज़रें
खिला चले हर रुत को धुले रहे हरपल//3

लिया नहीं बस देते चले सभी को हम
इसी चलन में नहीं कुछ गिले रहे हरपल//4

सही कहो कहके हँस चलो सफ़र में तुम
ग़लत हुजूम लिए हर हिले रहे हरपल//5

हमें मिला यह जीवन किन्हीं दिनों छूटे
इसी लिए लिए मस्ती चले रहे हरपल//6

कभी नहीं हम ‘प्रीतम’ तुम्हें भुला पाए
रहे कहीं पर तुझमें ढ़ले रहे हरपल//7

#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

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