ग़ज़ल- सताओगे मुझे लगता नहीं था
ग़ज़ल- सताओगे मुझे लगता नहीं था
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सताओगे मुझे लगता नहीँ था
तुम्हारे प्यार मेँ धोखा नहीँ था
कभी आँखोँ मेँ आँखेँ डालते थे
चुराओगे नज़र सोचा नहीँ था
ये झूठे यार यूँ मिलते नहीँ थे
हमारे पास जो पैसा नहीँ था
जवाँ जबसे हुआ मैँ रो रहा हूँ
लड़कपन ग़मज़दा ऐसा नहीँ था
कहीँ ‘आकाश’ तुम ना रूठ जाओ
गिला तो था मगर कहता नहीँ था
– आकाश महेशपुरी