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16 May 2023 · 1 min read

“बीच सभा, द्रौपदी पुकारे”

बीच सभा, द्रौपदी पुकारे,
हे गिरधर! तुम कहां पधारे ?

है समर्पित सब हाथ तुम्हारे,
तुम बिन संकट कौन उबारे?
दुष्ट दुशासन खींच रहा चीर ,
बेबस अबला तन हारे ।

लाज बचा लो, हे कन्हैया!
कर जोड़, अर्द्ध नग्न खड़ी,
हर लो प्राण तन से मेरे,
या संकट से मुझे निकालो।

द्रोणाचार्य,भीष्म पितामह,
बीच सभा हुए पराएं ,
आज पूर्ण कर वचन को अपने,
हे बंशीधर! द्रौपदी बुलाएं ।

बड़ा उपकार है प्रभु मुझ पर,
रख ली तन का लाज हमारी,
सुन पुकार शीघ्र सभा पधारे,
चीर बढ़ाएं, ख़ूब मुस्कुराएं,
दुष्ट कौरवों के रूह थर्राएं।।

बीच सभा, द्रौपदी पुकारे,
हे गिरधर! तुम कहां पधारे ?

राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 243 Views
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