सागर
जग का खारा जल रखता है
दिन -रात एक सा बहता है
कभी घमंड नहीं करता है वो
ज्वार -भाटा में रहता है वो
ना रखता किसी से बैर वो
अपने दुनिया में करता सैर वो
दुनिया का कचड़ा सहता है ,
दिन – रात एक सा बहता है।
अनेक प्राणियों का घर है तू
सुनामी,हरिकेन,बवंडर है तू
नदियों का मंजिल है तू
बंदरगाह पर महफ़िल है तू
हर हाल में एक सा रहता है,
दिन -रात एक सा बहता है।
तु अथाह गहराई वाला है
तु बेखौफ सच्चाई वाला है
तेरे अंदर छिपे राज बहुत
अनमोल जवाहरात बहुत
ना दर्द किसी से कहता है
दिन रात एक सा बहता है।
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला कुशीनगर
उत्तर प्रदेश