ग़ज़ल- ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
ग़ज़ल- ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
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ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
घाव हो गर कोई तो भरे शायरी
तेरा कुनबा रहे आसमाँ के तले
फिर भी करते हो तुम तो अरे शायरी
खौफ़ फैला हुआ आजकल चार सू
मैं हूँ शायर डरूँ ना डरे शायरी
एक सच्चे किसी हमसफर की तरह
रोज दर्दे जिगर को हरे शायरी
साथ ‘आकाश’ देती है हर मोड़ पर
जिन्दगी से कहाँ है परे शायरी
– आकाश महेशपुरी