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16 Jun 2018 · 1 min read

#ग़ज़ल-48

मापनी–2122-2122-2122-212
ग़ज़ल–ईद मुबारक़

चाँद-सा मन हो मुबारक चाँद से खिलके रहें
ईद हो सबको मुबारक आ गले मिलके रहें/1

आज हो कोई गिला-शिकवा भुला दें हम अभी
रार होती हार यारो जीत मिल दिलके रहें/2

ख़ून सबका लाल होता भेद इसमें क्यों करें
एक हम हैं एक रब है यार क्यों छलके रहें/3

एकता में बल सुना है यार हम अनजान क्यों
एक होकर सब जहां में आज से चलके रहें/4

रात बदले तो सुबह हो गर रुहें तो प्यार हो
आज तो हम भी बदलके ईद से ढ़लके रहें/5

प्रीत दिल की ना मिटेगी ठान लें प्रीतम सभी
दुश्मनी की आग में हम ना कभी जलके रहें/6

-आर.एस.’प्रीतम’

1 Like · 471 Views
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