#ग़ज़ल-48
मापनी–2122-2122-2122-212
ग़ज़ल–ईद मुबारक़
चाँद-सा मन हो मुबारक चाँद से खिलके रहें
ईद हो सबको मुबारक आ गले मिलके रहें/1
आज हो कोई गिला-शिकवा भुला दें हम अभी
रार होती हार यारो जीत मिल दिलके रहें/2
ख़ून सबका लाल होता भेद इसमें क्यों करें
एक हम हैं एक रब है यार क्यों छलके रहें/3
एकता में बल सुना है यार हम अनजान क्यों
एक होकर सब जहां में आज से चलके रहें/4
रात बदले तो सुबह हो गर रुहें तो प्यार हो
आज तो हम भी बदलके ईद से ढ़लके रहें/5
प्रीत दिल की ना मिटेगी ठान लें प्रीतम सभी
दुश्मनी की आग में हम ना कभी जलके रहें/6
-आर.एस.’प्रीतम’