ख़ौफ़ ए कोरोना
***ख़ौफ़ ए कोरोना***
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हुआ है ख़ौफ़ ए कोरोना
जब से आया है कोरोना
बेखौफ़ हो कर घूमता है
सर्वत्र विराजित कोरोना
चहुंओर है रोना धोना
रोमांच ले उड़ा कोरोना
फांसले दरमियाँ आए है
दुराव आविर्भूत कोरोना
पाप पार हुआ सारी हदें
पापध्न रूप है कोरोना
मानवीय संस्कार अदृश्य
दृष्टिगत करता कोरोना
भय मौत का है मंडराता
खौफनाक है ये कोरोना
चाहे जितना भी है प्यारा
नदारद करे है कोरोना
बीमारियोँ तो ओर भी है
जानलेवा बना कोरोना
मनसीरत चाहे हमसाया
वीभत्स उद्भूती कोरोना
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)