हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
“गुप्तरत्न ” “भावनाओं के समंदर मैं “©
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
कब इसमें किसी का वश चला है ,
मुहब्बत थी बस,होनी तो हो गई ,
क्या फर्क की तुम्हे पसंद या मुझे पसंद ,
बात होनी थी , तो बस हो गई
मुश्किल ही था साथ आगे चलना अब ,
छोड़ो अब, राहें जुदा हो गई तो हो गई ,
कहाँ लेके जाओगे अकड़ इतनी ,
या तो में मिटटी में दबनी है, या धुआं में उड़नी है ,
अच्छे – अच्छे लोगो की अकड़ यहाँ धुआँ मिटटी हो गई
तेरा साथ रात के ख्वाब सा था
आँख खुली पता चला सुबह हो गई ,
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
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