Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2021 · 1 min read

होते बेटी कहेला बला आ गइल!!

दिनांक:- २३/०५/२०२२ (इतवार)
____________________________________
होत बेटी कहेला बला आ गइल।
मुंह बिगड़ल कहे जलजला आ गइल।

हे! विधाता बनवलऽ तू कइसन नियम,
बेटा पवते कहेला मजा आ गइल।

लोर टपकत सुता के रहे रात – दिन,
बाप – माई कहेला सजा आ गइल।

नीक नइखे जहां के दुलेखा नियम,
बेटियन के कहे बद्दुआ आ गइल।

लाज तनिको न लागेला महतारी के,
देख बेटा कहे हौसला आ गइल।

फर्क सुत व सुता में न तनिको करीं,
मान ली भाग्य लेके बड़ा आ गइल।

काल्हु कनिया खिअवलस सचिन सौख से,
देख बेटी कहे आपदा आ गइल।

✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण बिहार,

2 Likes · 1 Comment · 302 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
तबीयत मचल गई
तबीयत मचल गई
Surinder blackpen
बहू-बेटी
बहू-बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जीवन संवाद
जीवन संवाद
Shyam Sundar Subramanian
आसमां में चांद प्यारा देखिए।
आसमां में चांद प्यारा देखिए।
सत्य कुमार प्रेमी
"छलनी"
Dr. Kishan tandon kranti
2720.*पूर्णिका*
2720.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरी मधुर यादें
तेरी मधुर यादें
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
🙅हस्तिनापुर🙅
🙅हस्तिनापुर🙅
*Author प्रणय प्रभात*
प्यासा के कुंडलियां (झूठा)
प्यासा के कुंडलियां (झूठा)
Vijay kumar Pandey
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
तुम जिसे खुद से दूर करने की कोशिश करोगे उसे सृष्टि तुमसे मिल
Rashmi Ranjan
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
Kanchan Khanna
महसूस होता है जमाने ने ,
महसूस होता है जमाने ने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
बेटियाँ
बेटियाँ
Mamta Rani
नायाब तोहफा
नायाब तोहफा
Satish Srijan
'धोखा'
'धोखा'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"प्यार तुमसे करते हैं "
Pushpraj Anant
पिता मेंरे प्राण
पिता मेंरे प्राण
Arti Bhadauria
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
डी. के. निवातिया
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
Babli Jha
*शुभकामनाऍं*
*शुभकामनाऍं*
Ravi Prakash
मेरा शहर
मेरा शहर
विजय कुमार अग्रवाल
अलबेला अब्र
अलबेला अब्र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
धन्य होता हर व्यक्ति
धन्य होता हर व्यक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बन के आंसू
बन के आंसू
Dr fauzia Naseem shad
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
Loading...