है श्रावणी का त्योहार
चूड़ी बिंदी मेंहदी काजल
हंसता मुखड़ा उड़ता आंचल
छन-छन धुन में बजती पायल
उदगार भरा है अपार
है श्रावणी का त्योहार….
हरीतीमा हर्षित हरियाली
सजे हैं झूले डाली-डाली
लड़ी हो जैसे हीरों वाली
नभ छलकाता रस धार
है श्रावणी का त्योहार….
आनंद अखंड रहे हरपल ही
मुख अरविंद सजे हरपल ही
जन अनुरागी बने हरपल ही
कर शैल सुता उपकार
है श्रावणी का त्योहार….
भारती दास✍️