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4 May 2024 · 1 min read

सबकी आंखों में एक डर देखा।

सबकी आंखों में एक डर देखा।
देखा जंगल की एक शहर देखा।
….
कुछ भी मुमकिन है इस रिसाले में।
राह देखी है और सफर देखा।
….
देखा महलों को खंडहर बनते।
हमनें आहों में वो असर देखा।
….
ज़िंदगी भर रहे वो नज़रों में
उनकी जानिब जो इक नज़र देखा।
….
मौत को साथ लिए फिरते हैं।
फिर भी लोगों को बेखबर देखा।
….
कभी लगता है देख ली दुनियां।
कभी लगता है के सिफर देखा।
….
जो भी दिल में ज़हन में रहता है।
उसको ही पाया है जिधर देखा।
….
तोड़ न पाया वक्त भी हारा।
हमने इंसा में वो सबर देखा।
….
कैसे कह दूं “नज़र” है अमृत सब।
नंगी आंखों से है ज़हर देखा।
….
Kumar Kalhans

Language: Hindi
18 Views
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