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7 Mar 2024 · 1 min read

*है गृहस्थ जीवन कठिन

*है गृहस्थ जीवन कठिन
माया मोह अनंत।
कर्म धर्म देखत हसत,
देव, दनुज अरू संत।*

जय सीताराम

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