मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
बाल दिवस " वही शिक्षक कहाता है"
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
जेल डायरी (शेर सिंह राणा)
हमेशा कुछ ऐसा करते रहिए जिससे लोगों का ध्यान आपके प्रति आकषि
सपने ना बंद आँखो में है ,
बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सावन तब आया
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कैसे-कैसे दाँव छल ,रखे दिलों में पाल
"स्नेह के रंग" (Colors of Affection):
आकाश और पृथ्वी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,