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10 May 2024 · 1 min read

सावन तब आया

सावन तब आया–

सावन आया जब मन मे हो खुशहाली
बाग बगीचे रहे सलामत झूलों की हो डाली ।।

सबके सर छत छप्पर सावन
बाढ़ कहर से घर ना उजड़े जन ना बिछड़े ना बने कोई सवाली।।

एक दूजे का सुख दुख मिलकर बांटे प्यार परिवार समाज में भेद भाव ना द्वेष कलह ना कोई बदहाली।।

सावन की बदरी और बारिष मुस्कान शिव शंकर की महिमा गान ॐ नमः शिवायः भोले भंडारी औघड़ दानी वरदानी।।

बृंदावन में गोपी संग राधा झूला
झूले बंशी बजावत कृष्ण मुरारी
अवधपुरी अति पावन जहां राम की किलकारी।।

गांव नगर सावन की फुहार ,पुलकित हृदय सौगात सखियों की कजरी गान बगियन में मकरंद की हलचल कली फूल खिले झूमे सावन की फुलवारी।।

विरह बेदना की बात राग नही
सुहागन पिया संग पिया के देश
सेज सुहाग प्यार पीया का मनोकामना
प्यारी न्यारी।।

सावन की रिम झिम फुहार बूंदे
बरसात मनभावन लागे आश
विश्वाश सावन की बात निराली।।

सूरज चाँद बादल अंचल में सावन इंद्रधनुष के सप्त रंग सावन हरियाली खुशहाली।।

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