*हैं अपनी आशाएं*
अपने हाथों और क्या है ?हैं अपनी आशाएं ।
होंगी या ना होंगी पूरी, वस बैठे हम पछताएं।।
सहम रहे हैं सभी रास्ते ,गलियाँ डरीं हुयी हैं ।
थर थर काँप रहे चौरायें, मंजिल परी हुई हैं ।।
कौन सुनेगा रोना धोना ,समय के सदके जाएँ।
अपने—–—————————————–।1।
पल पल चीख रही है पीड़ा,टेंक के माथा अपना।
सोचा होगा सफल भरोसा,निकला खाली सपना।।
भैंस के आगे बीन बजाना, वे कोने सहमें जाएँ ।
अपने————————————————।2।
शब्दों की पांतों के आगे, साँसे रुकी हुई हैं ।
देख दशा निर्लज्ज जगत की,पलकें झुकी हुई हैं।।
करुणा चीख रही चिल्लाकर , बहरी हुई दिशाएं।।
अपने———————————————— ।3।
मुहं ढक देख रहा उजाला ,स्याही बन गयी रातें।।
चौपालों में मुहं चढ़ बोले ,कल परसों की बातें ।।
रुंधे कंठ से निल ना पाते , हैं वेसस भासाये ।।
अपने—————————————————।4।
दिखा वही पराया अब तक,जिस पर किया भरोसा।
छीन छानकर चैन निद्रा,—उसने —-दर्द —-परोसा।।
भरें सिसकियाँ सुबक सुबक कर, सच्ची रोज कथाएं।
अपने—————————————————-।5।
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