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14 Mar 2024 · 1 min read

*चलो खरीदें कोई पुस्तक, फिर उसको पढ़ते हैं (गीत)*

चलो खरीदें कोई पुस्तक, फिर उसको पढ़ते हैं (गीत)
_________________________
चलो खरीदें कोई पुस्तक, फिर उसको पढ़ते हैं

कभी पुस्तकों के मेले में, जाकर खुशी मनाऍं
नई पुस्तकों को पढ़कर फिर, आनंदित हो जाऍं
वातावरण कलम-वंदन का, आओ सब गढ़ते हैं

जिसकी पुस्तक छपे उसे दें, शुभकामना-बधाई
रुपए सौंपें और फिर कहें, दे दो पुस्तक भाई
पढ़ने के सुंदर पथ पर हम, आओ यों बढ़ते हैं

घर में एक रखें अलमारी, पुस्तक से महकाऍं
लेकिन उसमें सिर्फ खरीदी, पुस्तक बंधु सजाऍं
निजी पुस्तकालय के ऐसे, शिखरों पर चढ़ते हैं
चलो खरीदें कोई पुस्तक, फिर उसको पढ़ते हैं
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451

Language: Hindi
35 Views
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