हे पिता,करूँ मैं तेरा वंदन
हे पिता,करूँ मैं तेरा वंदन
तुमसे रोशन दुनिया मेरी
तुमसे रोशन जीवन मेरा
पथ प्रदर्शक थे तुम मेरे
तुमसे रोशन आशियाँ मेरा
हे पिता अभिनन्दन तुम्हारा
तुमसे ही था घर उजियारा
शिक्षा का आधार तुम्हीं थे
संस्कारों का विस्तार तुम्हीं थे
पल्लवित हुई संस्कृति तुम्हीं से
घर आँगन गुलज़ार तुम्हीं से
जीवन का आकार तुम्हीं से
जीवन का विस्तार तुम्हीं से
हो रहा आज मेरा अभिनन्दन
ये सब है एकमात्र तुम्हीं से
तुमसे ही पावन कर्म हमारे
तुमसे रोशन सत्कर्म हमारे
धर्म का विस्तार थे तुम
एक सद्चरित्र आधार थे तुम
तेरे आशीर्वाद की धरोहर
हर एक कर्म हो गया मनोहर
सबके दुःख का भान तुम्हें था
क्रोध का नामो – निशान नहीं था
पीर हमारी हर लेते थे
घर खुशियों से भर देते थे
हे पिता मैं करूँ तेरा वंदन
सिर माथे का हो जाए चन्दन
यादों में अब भी बसते हो
अब भी मुझको प्रेरित करते हो
आपका आशीर्वाद बनाए रखना
जीवन को दिशा दिखाए रखना
हे पिता मैं बालक तेरा
अवगुण मेरे क्षमा करना
रखना मुझको अपने चरणों में
पावन मेरा जीवन करना
तुझको मैं भगवान् है जानूं
अपनी कृपा से पोषित करना