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30 Jan 2017 · 1 min read

हुआ नहाना ओस में

रिश्ता नाजुक प्यार का, ज्यों प्रभात की ओस !
टिके न ज्यादा देर तक, व्यर्थ करे अफ़सोस!!

हुआ नहाना ओस में ,.तेरा जब जब रात !
कोहरे में लिपटी मिली,तब तब सर्द प्रभात !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 256 Views
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