सागर सुखा है अपनी मर्जी से..
सागर सुखा है अपनी मर्जी से..
सूरज पर इशारा क्यों करते हो,
दीया बुझा है अपनी मर्जी से
हवाओं के पर क्यों कुतरते हो
✍कवि दीपक सरल
सागर सुखा है अपनी मर्जी से..
सूरज पर इशारा क्यों करते हो,
दीया बुझा है अपनी मर्जी से
हवाओं के पर क्यों कुतरते हो
✍कवि दीपक सरल