यह तुम्हारी गलतफहमी है
यह तुम्हारी गलतफहमी है,
कि लूटकर तेरी इज्जत,
तेरा हुस्न और दौलत,
और तेरा सुख और चैन,
कि आबाद होना चाहता हूँ मैं।
यह तुम्हारी गलतफहमी है,
कि कोई मुझको नहीं चाहता,
कि मैं बहुत बदनाम हूँ ,
और लेना चाहता हूँ नया रूप,
तेरी पनाह और तेरा साथ पाकर।
यह तुम्हारी गलतफहमी है,
कि बना रखें हैं मैंने दुश्मन बहुत,
परेशान है मुझसे मेरा परिवार,
और आना चाहता हूँ अब मैं,
तेरी बाँहों में पाने को खुशी,
तेरी जुल्फों में खुद को छुपाने के लिए,
ताकि कोई मुझको नहीं देख सके।
यह तुम्हारी गलतफहमी है,
कि तुमसे ज्यादा नहीं है,
मुझको किसी से प्यार,
और तुम ही हो सिर्फ पवित्र,
कि बनाना चाहता हूँ मैं,
तुम्हारे दिल में मेरे लिए घर,
ताकि जिंदा रहे मेरा भी अस्तित्व।
यह तुम्हारी गलतफहमी है———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)