हिमाचल प्रदेश की नदी व्यास
हिमाचल की नदी व्यास
रोहतांग दर्रा जिला कुल्लू में कुल्लू घाटी और लाहौल और स्पीति घाटिओं के बीच 3980 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह दर्रा हिमालय के पीर पंजाल श्रेणी के पूर्वी भाग में मनाली से 51 कि०मी० दूर है। इसी पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में व्यास कुंड स्थित है और यही व्यास नदी का उद्गमस्थल है।
हिमाचल प्रदेश में वृहद हिमालय की जासकर पर्वत माला के पीर पंजाल पर्वत श्रेणी से निकलकर यह कुल्लू जिला के मनाली शहर के बीचो -बीच बहती हुई यह नदी कुल्लू शहर से भुंतर तक आती है।व्यास नदी के दोनों ओर मनाली और कुल्लू नगर बहुत ही रोचक और रमणीय दिखते हैं। यहां की हरी-भरी वादियां और वन बारहों मास लोगों का मन हर लेते हैं। व्यास नदी के बीचों-बीच बहने से वादियां और नगर देखने में स्वर्ग से कम नहीं लगते।
व्यास नदी का वैदिक नाम अर्जिकिया और विपाशा है। कालांतर में इसका नाम महार्षि वेद व्यास की तपोस्थली होने के कारण भी इस नदी का नाम व्यास पड़ा। विपाशा नाम का कारण यह है कि एक बार महार्षि वशिष्ठ पुत्र शोकग्रस्त हो कर स्वयं को बांध कर इस नदी में कूद पड़े थे ,परंतु वह मरे नहीं बल्कि बिपाशा या पाश मुक्त (बंधन मुक्त )होकर नदी से बाहर आ गए थे इसलिए भी इस नदी का नाम बिपाशा पड़ा । इस नदी की कुल लम्बाई 460 कि०मी० है और हिमाचल प्रदेश में इस की लम्बाई 256कि०मी० है।जो सतलुज के बाद सबसे अधिक है।
ब्यास नदी की कुल्लू जिले में सहायक नदियां—
कुल्लू जिले में पार्वती, पिन ,मलाणा नाला ,सोलंग नाला ,मनालसा ,फोजल और सरवरी इसकी सहायक नदियां हैं। स्थानीय भाषा में इन्हें खड्ड या नाला कहते हैं जो केवल बरसात में ही बहते है। अन्य ऋतुओं में इनका पानी बहुत कम हो जाता है या बिलकुल सूख जाता है । इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी पार्वती नदी है जो भुन्तर के पूर्व दिशा में मणिकर्ण की ओर से आ कर भुन्तर में मिलती है। इसका उद्गम स्थल पार्वती घाटी मे 13580 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंतलाई झील से है। यहां से यह खीर गंगा नामक स्थान से बहती हुई मणिकर्ण में रौद्रमुखी होती हुई ज़री,मलाणा होते हुए भुन्तर में व्यास नदी से मिल जाती है और नदी दक्षिण दिशा की ओर बहने लगती है और मण्डी जिले में प्रवेश करती है । यहां इस नदी को रोक कर पंडोह बांध बना है। बांध के ऊपर से ही कुल्लू-मनाली के लिए आने-जाने का राष्ट्रीय मार्ग बना है और कुल्लू जिले की ओर विशाल कृत्रिम झील का निर्माण हुआ है।
जिला मण्डी के पंडोह से व्यास नदी का कुछ पानी सलापड़ बांध तक पहुंचाया गया जो सतलुज नदी में मिल जाता है और मण्डी जिले से यह नदी बहते हुए जिला हमीरपुर होते हुए जिला कांगड़ा में प्रवेश कर बहती हुई पंजाब के हरताल पट्टान में सतलुज नदी के साथ मिल जाती है। हिमाचल प्रदेश की सारी नदियां पाकिस्तान से होते हुए अरब सागर में मिल जाती है।
व्यास नदी पर बनी परियोजनाएं—-
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में इस नदी पर बना पौंग बांध 1975 ई० में बना जो शिवालिक पहाड़ियों के अन्तर्गत आता है और इस बांध को महाराणा प्रताप सागर नाम भी दिया गया है।
पंडोह बांध– जिला मण्डी में 1977ई० में पंडोह बांध बना। इसका मुख्य उद्देश्य ग्लेशियरों से पिघल कर आने वाले पानी को एकत्रित कर पन बिजली का बनाना है।
व्यास नदी के तट पर बसे प्रमुख पर्यटन स्थल है देवताओं की घाटी मनाली, कुल्लू, मण्डी, हमीरपुर, कांगड़ा।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश