क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
वो कहते हैं हर समस्या का, समाधान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
वेतन भोगियों के मन मे कैसा, आक्रोश चल रहा है।
पेंशन भोगियों का घर चुप चाप, खामोश चल रहा है।।
बेरोजगारी का आलम, पल पल इंसान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
भूखे बेहाल बच्चो में, चमकी का रोग पल रहा है।
युवाओं का क्रेज जबानी, केवल फोग चल रहा है।।
प्रसाशन बदहाल पुरजोर, थाना स्थान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
कल तक जो बैठे थे, भ्रस्टाचार बिरोध अनसन में।
दे कर नजराना उन्हें, बन जाओ अफसर टशन में।।
अगूंठा छाप मिनिस्टर, अर्दली बीए पास टहल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
कल मंच से जो बोल गए, बेटी लक्ष्मी का रूप है।
आज उनके घर मे ही, भूर्ण हत्या पुण्य स्वरूप है।।
बहुवें अग्नि भेंट चढ़ी, दहेज का विधान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
हम पूजते रहें हैं जिन्हें, नित भावनाओं में डूबकर।
तोड़ने को आस्थाऐं कुटिल चल चले जान बूझकर।।
देवों को शांत देख कर, नीतियां शैतान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
है हालत खराब देखो, धोतीवालों कि बस कमाने में।
पर चिंता न फिक्र कोई, इन टोपी वालों को उड़ाने में।।
कैसे पूंजीवाद खेत खलिहान व, किसान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
जरा देश के माहौल का, जांच- पड़ताल करो ठीक से।
सर छात्र क्यों बेहाल यहाँ, होते रहते हैं पेपर लीक से।।
क्यों? अग्निवीर भारतीय निडर, जवान बदल रहा है।
सच सच बताना! क्या वाकई हिंदुस्तान बदल रहा है?
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०६/०७/२०१९)