Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी

दोहा सप्तक. . . . जिन्दगी

किसे कहें बलवान हम ,किसे कहें कमजोर ।
चींटी हाथी मार दे, बिना मचाए शोर ।।

पानी का है बुलबुला, बन्दे तेरी जान ।
दो मुट्ठी की राख बस , तेरी है पहचान ।।

धू – धू कर आखिर जला, यह दम्भी इंसान ।
माटी – माटी हो गई, माटी की पहचान ।।

चले अकड़ कर जिन्दगी, जब तक उसमें जान ।
रुकी साँस उसकी मिली, मरघट में पहचान ।।

श्वांस वाहिनी से मिला , अंतस को संकेत ।
अब उड़ने का वक्त है, उड़ जा बन कर रेत ।।

निर्णय सब करने लगे, मौन देह पर लोग ।
कर्मों के अनुरूप ही, जीव भोगता भोग ।।

देह दास है श्वांस की, नहीं श्वांस विश्वास ।
श्वांस चले तब तक रहे , हर पल जीवन आस ।।

सुशील सरना / 14-5-24

22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*योग शब्द का अर्थ ध्यान में, निराकार को पाना ( गीत)*
*योग शब्द का अर्थ ध्यान में, निराकार को पाना ( गीत)*
Ravi Prakash
धीरे धीरे बदल रहा
धीरे धीरे बदल रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
एक छोटी सी आश मेरे....!
एक छोटी सी आश मेरे....!
VEDANTA PATEL
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम
Dr fauzia Naseem shad
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
VINOD CHAUHAN
"बयां"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
Bhupendra Rawat
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
नमी आंखे....
नमी आंखे....
Naushaba Suriya
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Neelam Sharma
सरस्वती वंदना-6
सरस्वती वंदना-6
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
राक्षसी कृत्य - दीपक नीलपदम्
राक्षसी कृत्य - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
रंगमंच
रंगमंच
लक्ष्मी सिंह
3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दिल का गुस्सा
दिल का गुस्सा
Madhu Shah
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
Dr Archana Gupta
हिन्द की हस्ती को
हिन्द की हस्ती को
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बसंत
बसंत
manjula chauhan
#आज_का_आह्वान
#आज_का_आह्वान
*प्रणय प्रभात*
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
आर.एस. 'प्रीतम'
जयंती विशेष : अंबेडकर जयंती
जयंती विशेष : अंबेडकर जयंती
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शीर्षक : बरसात के दिनों में (हिन्दी)
शीर्षक : बरसात के दिनों में (हिन्दी)
Neeraj Agarwal
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
Phool gufran
रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओ से हुई हो
रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओ से हुई हो
शेखर सिंह
"राज़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...