“हिंदी भाषा है, समाज का गौरव दर्पण”
“हिंदी भाषा है, समाज का गौरव दर्पण”
हिंदी भाषा है, समाज का गौरव दर्पण,
जिसमें झलके संस्कृति का हर अर्पण!!
शब्दों में यूं बसती है जन-जन की पीड़ा,
रस भावों में छलकती उत्सव की क्रीड़ा!!
रामायण, महाभारत की कथा सुनाती है,
कभी गीता सार का संपूर्ण ज्ञान बताती है!!
नव कविताओं में रंगती है वो प्रेम की धारा,
नाटकों में समेटे है जीवन का हर किनारा!!
लोकगीतों में बसती है हर गाँव की खुशबू,
कहानी में गढ़ती है हर दिन का संघर्ष सुबू!!
हिंदी है वो भाषा, जो हमें अंदर से जोड़ती है,
वो दिलों के तारों को एक सुर में पिरोती है!!
पाठशाला में नैतिकता का पाठ सिखाती है,
जीवन में संवेदनशीलता की आस जगाती है!!
जीवन में सच और झूठ का विवेचन करती है,
मानवता का सीख देती उत्तम समर्पण करती है!!
हिंदी साहित्य में पूरा का पूरा इतिहास छिपा है,
हर युग की धड़कन में यहाँ हर श्वास लिपा है!!
कबीर, सूर, तुलसी, मीरा की गूंजती है वाणी,
जन-जन की श्रुति में उनकी कहानी सिपा है!!
हिंदी भाषा में मातृभूमि की महक मिलती है,
कवियों की कलम में ध्वनि अनवरत बहती है!!
साहित्य की धरोहर है इसमें अमूल्य खजाना है,
सभ्यता संस्कृति के अद्भुत संगम का ताना-बाना है!!
साहित्य सृजन से ही यहां सर्व समाज चलता है,
हिंदी का दीपक हर दिशा में तेजोमय जलता है!!
उजाले से अंधकारमय जीवन से छुटकारा मिलता है,
हिंदी भाषा के हर अक्षर से सुधा रस बूंद छलकता है!!
नवयुग की ध्वजा बने, निरंतर आगे बढ़े, सदा फूले-फले,
भाषा दु:ख को भुला, चेहरे पर आनंद का रंग लाता है!!समाज को आइना, सत्यता की हर झलक दिखलाता है,
हिंदी भाषा ही जीवन का अमर रस-घटक कहलाता है!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”