हिंदी दिवस
फिर आया हिंदी दिवस
रोता-गाता मित्र
हम बसते निज देश में
धरकर चित्र,विचित्र
सालों भर अंग्रेज़ी भजें,
गीता भी आंग्ल में गाएँ
जब आए हिंदी दिवस,
मिलकर मोद मनाएँ।
काहे को हिंदी दिवस,
जब आंग्ल वर्ष है व्याप्त
हिंदी पल-पल घुट रही,
लगता अस्तित्त्व समाप्त
अंग्रेज़ी ही सभ्यता,
अंग्रेज़ी जय गान
अंग्रेज़ी भजते रहो,
मिले मान-सम्मान।
हिंदी केवल दिवस भर,
दो घंटे की बात
भाषण जमकर दे दिया,
यह विधि का आघात।
✍️अनिल मिश्र,प्रकाशित