Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2024 · 1 min read

मौन जीव के ज्ञान को, देता अर्थ विशाल ।

मौन जीव के ज्ञान को, देता अर्थ विशाल ।
ब्रह्म बिन्दु के ओज से,अंतस हो वाचाल ।।

सुशील सरना / 29-1-24

76 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चाँद पूछेगा तो  जवाब  क्या  देंगे ।
चाँद पूछेगा तो जवाब क्या देंगे ।
sushil sarna
ज्ञानों का महा संगम
ज्ञानों का महा संगम
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
फितरत सियासत की
फितरत सियासत की
लक्ष्मी सिंह
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Sakshi Tripathi
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
तू क्यों रोता है
तू क्यों रोता है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
वो इशक तेरा ,जैसे धीमी धीमी फुहार।
वो इशक तेरा ,जैसे धीमी धीमी फुहार।
Surinder blackpen
एक अणु में इतनी ऊर्जा
एक अणु में इतनी ऊर्जा
AJAY AMITABH SUMAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक भ्रम है, दोस्त,
पूर्वार्थ
कबीर: एक नाकाम पैगंबर
कबीर: एक नाकाम पैगंबर
Shekhar Chandra Mitra
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
Sanjay ' शून्य'
नीर क्षीर विभेद का विवेक
नीर क्षीर विभेद का विवेक
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
💐प्रेम कौतुक-418💐
💐प्रेम कौतुक-418💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अंतिम एहसास
अंतिम एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
न चाहे युद्ध वही तो बुद्ध है।
Buddha Prakash
"मोहब्बत में"
Dr. Kishan tandon kranti
विषाद
विषाद
Saraswati Bajpai
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
Manisha Manjari
लगी राम धुन हिया को
लगी राम धुन हिया को
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हाँ मैन मुर्ख हु
हाँ मैन मुर्ख हु
भरत कुमार सोलंकी
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3225.*पूर्णिका*
3225.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दो दोस्तों की कहानि
दो दोस्तों की कहानि
Sidhartha Mishra
हिंदी
हिंदी
Bodhisatva kastooriya
मातृ दिवस पर कुछ पंक्तियां
मातृ दिवस पर कुछ पंक्तियां
Ram Krishan Rastogi
खास हम नहीं मिलते तो
खास हम नहीं मिलते तो
gurudeenverma198
Loading...