#कुंडलिया//शान पति की//हास्य
समझाती हूँ देव पति , समझो दम्पति सार।
पहले गूँथों चून तुम , रोटी फिर तैयार।।
रोटी फिर तैयार , मज़े से मिल खाएँगे।
बर्तन देना माँज , प्रेम यूँ दिखलाएँगे।
सुन प्रीतम की बात , रोब पत्नी दिखलाती।
बेलन लेकर रोज , शान पति की समझाती।
#आर.एस. ‘प्रीतम’