Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2022 · 4 min read

“ हाई ऑल्टीट्यूड अरुणांचलप्रदेश की कुछ यादें ”

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल ”
===================================
जिंदगी अनुभवों के संग्रह का एक पिटारा है ! इस पिटारे में हमारी खुशियाँ ,थोड़े ग़म ,सुनहरे क्षण ,मधुर यादें ,दोस्ती और ना जाने कौन-कौन से लम्हे इसमें कैद हैं ? उसे वे ही बता सकते हैं जिसने सम्पूर्ण जिंदगी कभी करीब से देखा है और जिसे संग्रहित किया है ! इन्हीं अनुभवों के सहारे जिंदगी की किताबों के पन्नों को हम उलटते रहते हैं ! और उन बीते लम्हों को याद करते हैं ! उन्हीं पिटारे से एक मधुर अनुभव साझा कर रहा हूँ …………….
17. सितंबर 1984 गुवाहाटी फील्ड एम्बुलेंस (अस्पताल) में मैंने अपना योगदान दिया! सब लोगों से परिचय हुआ ! बहुत कम लोग यहाँ थे ! एक छोटा सा अस्पताल और एक डेंटल सेक्शन ! पता लगा दो महीने के लिए अधिकाशतः लोग फील्ड एम्बुलेंस (अस्पताल) लेकर चीन के सटे प्रदेश अरुणांचल प्रदेश सैनिक अभ्यास के लिए चले जाते हैं ! कॉमाडींग ऑफिसर भी साथ चले गए थे ! रियर में 2 I/C कर्नेल एस 0 के 0 भांड और कॉर्टर मास्टर कप्तान एस 0 के 0 घोषाल जमे हुए थे !
25 सितंबर 1984 को हम चारों लोगों को आदेश मिला कि आज ही हमें अपनी वर्फ वाली क्लोदिंग किट ,अपना सामान और राइफल ले लेना है ! हमें अरुणांचलप्रदेश हाई ऑल्टीट्यूड स्थित जिला पश्चिम कामेंग सेंगे के मुख्य अस्पताल में पहुँचना है ! पहले मिसामारी ट्रांजिट कैम्प जाना है ! फिर ट्रांजिट कैम्प आगे जाने का इंतजाम करेगी ! यह जीवन का पहला अनुभव था जिसे मैं बारीकियों से एकत्रित करना चाहता था !
सेंगे जिला पश्चिम कामेंग अरुणांचल प्रदेश का एक तहसील है ! जो 2,545 मिटर या 8,349.14 फिट समुद्री सतह से ऊपर है ! 1962 में चीन ने अरुणांचल प्रदेश पर हमला किया था ! उत्सुकता उमड़ पड़ी ! शाम का भोजन करने के बाद मिलिटरी स्टेशन के लिए बस आयी ! हमलोग तैयार थे सारे सामानों के साथ हम बस में चढ़ गए ! 2 I/C कर्नेल एस 0 के 0 भांड और कॉर्टर मास्टर कप्तान एस 0 के 0 घोषाल ने हमलोगों को विदा किया ! यह विदाई युद्ध भूमि में युद्ध का अभ्यास करने के लिए भेजना था !
मिसामारी से हमलोगों सुबह 5 बजे 26 सितंबर 1984 मिलिटरी कॉन्वॉय से रवाना हुए ! कॉन्वॉय असम प्रदेश को पार करने के दौरान हमलोगों ने कॉन्वॉय में खूब मनोरंजन किया ! किसी ने गीत गाया ,चुटकुले सुनया ,किसीने अपने गाँव की कहानी और किसी ने अपने बीते हुए क्षणों को साझा किया ! मेरा यह सफ़र अनोखा मना जाएगा क्योंकि मैं पहली बार हाई ऑल्टीट्यूड एरिया में जा रहा हूँ !
इस कॉन्वॉय में 20 ट्रकेँ थीं ! आगे कॉन्वॉय कमांडर पीछे रियर कमांडर ! इनके देख- रेख में यह कॉन्वॉय चलती थी ! एक बीच में एम्बुलेंस गाड़ी अपनी चिकित्सा सामग्री को साथ लिए चल रही थी ! करीब दो घण्टे सफ़र के बाद हम और हमारा काफिला अरुणांचलप्रदेश के प्रवेश द्वार भालुकपोंग पहुँच गया ! भालुकपोंग अरुणांचलप्रदेश के पश्चिम कामाँग जिला के दक्षिण छोर पर बसा शहर समुद्रतट से 213 मीटर पर है ! सारी गाडियाँ यहाँ रुक गयीं ! ठीक एक घंटा ब्रेक दिया गया ! हमलोगों ने दुकान में नाश्ता किया ! मैं पर्वतीय शृंखला को निहार रहा था ! हिमालय के करीब और इसके दर्शन इतने निकट से कभी नहीं कर पाया था !
भालुकपोंग को हमने छोड़ा और चल दिए हिमालय पर्वतों की शृंखलाओं पर ! दुर्गम पहाड़ी रास्ते ,जिग -जाग जलेबी की तरह रास्तों से गुजरना पड़ा ! सब लोग अपने अपने इष्ट देवताओं को याद कर रहे थे ! बहुत लोगों को चक्कर और उल्टी हो रही थी ! 27 किलोमीटर का सफ़र 3 घण्टे में तय हुआ ! सेस्सा एक छोटा सा गाँव जो 3,300 मीटर समुद्रतल से ऊपर बसा हुआ है उसकी जनसंख्या 184 ( 2011 के अनुसार ) है ! कॉन्वॉय रुकी ! मैं तो दृश्य देखकर चकित रह गया ! झरने की कलकल आवाज ,ठंडी ठंडी हवा ,ऊंचे -ऊंचे पहाड़ और घने जंगलों का नज़ारा देखकर मंत्रमुग्ध हो गया ! दूर पहाड़ों पर बर्फ दिखाई पड़ रहे थे ! आधा घंटा के बाद कॉन्वॉय आगे चल पड़ी !
एक रात धुआँग (1603.00 m )में रुकना पड़ा ! यह एक बड़ा शहर है ! यहाँ टेंगा नदी पहाड़ों से निकल कर तीव्र गति से शोर मचाते हुई गुजरती है ! दूसरे दिन सुबह 5 बजे हमलोगों की कॉन्वॉय बॉमडिला(2415 मीटर समुद्रतल से ) ,दिराङ्ग ( 1560 मीटर समुद्रतल ),सैपर होते हुए निकल पड़ी ! अब हिमालय की चोटियाँ दिखने लगी ! चारों तरफ ऊँची -ऊँची पहाड़ और फैली हुआ बर्फ ! टेढ़े -मेढ़े रास्ते और गहरी खइयाँ अजब दृश्य देखने को मिल रहा था ! प्रकृति का नज़ारा आखों को चकाचौंध कर जाता था ! जीवन का अनोखा अनुभव संग्रहित करने का अवसर मिला !
ठीक शाम 5 बजे मैं अपने लोगों के साथ सेंगे जिला पश्चिम कामेंग अरुणांचल प्रदेश का एक तहसील , जो 2,545 मिटर या 8349.14 फिट समुद्री सतह से ऊपर है ,वहाँ पहुँच गया ! मुझे प्रारंभ में ऑक्सीजन का अभाव और खाने की घटती रुचि का एहसास होने लगा पर कुछ दिनों के बाद मैं अच्छा अनुभव करने लगा! और अपने अनुभवों को अपने पिटारा में संग्रहित करने लगा !
======================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
24.05.2022.

Language: Hindi
201 Views

You may also like these posts

घुटन
घुटन
शिवम राव मणि
क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
लोकतंत्र का पर्व महान - मतदान
लोकतंत्र का पर्व महान - मतदान
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
पूर्वार्थ
थक चुका हूँ बहुत अब.., संभालो न माँ,
थक चुका हूँ बहुत अब.., संभालो न माँ,
पंकज परिंदा
हर दिल गया जब इस क़दर गुनहगार हो
हर दिल गया जब इस क़दर गुनहगार हो
Ahtesham Ahmad
बाबर के वंशज
बाबर के वंशज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
Rj Anand Prajapati
वासियत जली थी
वासियत जली थी
भरत कुमार सोलंकी
पीड़ादायक होता है
पीड़ादायक होता है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
" अकेलापन की तड़प"
Pushpraj Anant
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 )
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 ) " वक्त से "
Mamta Singh Devaa
हिम्मत कभी न हारिए
हिम्मत कभी न हारिए
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
सत्य समझ
सत्य समझ
Rajesh Kumar Kaurav
एक मजदूर ने सिखाया
एक मजदूर ने सिखाया
Krishna Manshi
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय*
चांद शेर
चांद शेर
Bodhisatva kastooriya
अतीत की स्मृतियों से
अतीत की स्मृतियों से
Sudhir srivastava
बाजार री चमक धमक
बाजार री चमक धमक
लक्की सिंह चौहान
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
Ravikesh Jha
आखिर किसमें
आखिर किसमें "दोष" था
Anand Kumar
"वीर सेनानी"
Shakuntla Agarwal
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
कभी.....
कभी.....
देवराज यादव
"उड़ान"
Yogendra Chaturwedi
अक्सर समय बदलने पर
अक्सर समय बदलने पर
शेखर सिंह
वो सड़क का मोड़
वो सड़क का मोड़
सुशील भारती
जीवन है अनमोल
जीवन है अनमोल
महेश चन्द्र त्रिपाठी
Loading...