Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2024 · 1 min read

अतीत की स्मृतियों से

अतीत की स्मृतियों से होकर आज
जब हम झांकते हैं अपने बीते हुए कल में
तब हम पाते हैं कुछ खट्टे अनुभवों, के साथ
चलचित्र की भांति बीते जीवन के उन पलों को
जिन्हें हम याद कर रोमांचित, उत्साहित
और अत्यधिक प्रसन्न होते हैं,
तो कुछ को हम भूलकर भी कभी
सपने में भी याद तक नहीं करना चाहते हैं,
क्योंकि उसे याद कर हम आज भी कांप उठते हैं।
वास्तव में यही तो वास्तविक जीवन है
चाहे जितनी कोशिश कर लें,
हम आप इससे भागकर बच भी नहीं सकते हैं।
अपने आपको ताकत देने के लिए
और हौसलों का नया उदाहरण बनने के लिए
हमें जब तब अतीत की स्मृतियों से ही
बीते हुए कल में झांकना ही पड़ता है,
क्योंकि हमें जीना जो होता है
इसलिए अपने कल की जीवन यात्रा के अतीत से
बहुत कुछ सीखना ही पड़ता है
अतीत की स्मृतियों से जुड़ना और जूझना ही पड़ता है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
■ इकलखोरों के लिए अनमोल उपहार
■ इकलखोरों के लिए अनमोल उपहार "अकेलापन।"
*प्रणय प्रभात*
रोटी की क़ीमत!
रोटी की क़ीमत!
कविता झा ‘गीत’
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
शेखर सिंह
चले ससुराल पँहुचे हवालात
चले ससुराल पँहुचे हवालात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आंखन तिमिर बढ़ा,
आंखन तिमिर बढ़ा,
Mahender Singh
आपस की दूरी
आपस की दूरी
Paras Nath Jha
कोई काम हो तो बताना
कोई काम हो तो बताना
Shekhar Chandra Mitra
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ईश ......
ईश ......
sushil sarna
*सूनी माँग* पार्ट-1
*सूनी माँग* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
उगाएँ प्रेम की फसलें, बढ़ाएँ खूब फुलवारी।
उगाएँ प्रेम की फसलें, बढ़ाएँ खूब फुलवारी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
राही
राही
RAKESH RAKESH
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"व्यर्थ है धारणा"
Dr. Kishan tandon kranti
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गालगागा गालगागा गालगागा
गालगागा गालगागा गालगागा
Neelam Sharma
*वोट हमें बनवाना है।*
*वोट हमें बनवाना है।*
Dushyant Kumar
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
शिकवा गिला शिकायतें
शिकवा गिला शिकायतें
Dr fauzia Naseem shad
सजाया जायेगा तुझे
सजाया जायेगा तुझे
Vishal babu (vishu)
यायावर
यायावर
Satish Srijan
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Dr Archana Gupta
*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रेम का दरबार
प्रेम का दरबार
Dr.Priya Soni Khare
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
Ravi Yadav
बैठे-बैठे यूहीं ख्याल आ गया,
बैठे-बैठे यूहीं ख्याल आ गया,
Sonam Pundir
आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...