हाइकु : रोहित वेमुला की ’बलिदान’ आत्महत्या पर / मुसाफ़िर बैठा
(1)
तू बोया पेड़
बबूल रे भगवे
आम झुलसे
(2)
हैदराबाद
से जोड़ा दिल्ली तैने
तो शेर गिरा!
(3)
रोहित! जला
दे मनुवाद काश
तेरी कुर्बानी
(4)
एकलव्य की
जाँच बड़ी रे, द्रोण
ना सुधरेंगे!
(5)
धर्म बड़ा जो
आदमी से, समझो
कुत्ता वजनी!
(6)
धर्म चड्डी में
करे है बलवा तू
मल-मानव
(7)
आततायी रे,
कहो तू कैसा, कौन
राष्ट्रवादी हो!