Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2022 · 1 min read

हां मैं हिंदी हूं

हां मैं हिंदी हूं,
जिसके माथे पर एक
चमकती हुई बिंदी हूँ
मुझसे ही कवि,
और गीतकार हुये
मुझसे ही रचना
और साहित्यकार हुये
मैंने ही इसे रस ,छंद और
अलंकार से संजोया है
एकता के धागे में
सबको पिरोया है
चाह नहीं इतनी कि
मैं सब पर इठलाऊं
बस इतनी सी चाहत है
विश्व पटल पर
अपनी पहचान बनाउँ
बस मेरा
इतना मान बढ़ाना
हिंदी हूं
‘विश्व हिंदी दिवस’
पर वो सम्मान दिलाना।

कुमार दीपक “मणि”

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 537 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सर्दी में कोहरा गिरता है बरसात में पानी।
सर्दी में कोहरा गिरता है बरसात में पानी।
ख़ान इशरत परवेज़
है कौन वो
है कौन वो
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"अकेले रहना"
Dr. Kishan tandon kranti
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
CA Amit Kumar
प्रेम पीड़ा
प्रेम पीड़ा
Shivkumar barman
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
*सिखलाऍं सबको दया, करिए पशु से नेह (कुंडलिया)*
*सिखलाऍं सबको दया, करिए पशु से नेह (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
Vishal babu (vishu)
■ पाठक बचे न श्रोता।
■ पाठक बचे न श्रोता।
*प्रणय प्रभात*
कविता: स्कूल मेरी शान है
कविता: स्कूल मेरी शान है
Rajesh Kumar Arjun
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
Dr.Khedu Bharti
छल
छल
Aman Kumar Holy
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
gurudeenverma198
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
Sarfaraz Ahmed Aasee
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
लक्ष्मी सिंह
कुछ तो ऐसे हैं कामगार,
कुछ तो ऐसे हैं कामगार,
Satish Srijan
पैसा होय न जेब में,
पैसा होय न जेब में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गुम सूम क्यूँ बैठी हैं जरा ये अधर अपने अलग कीजिए ,
गुम सूम क्यूँ बैठी हैं जरा ये अधर अपने अलग कीजिए ,
Sukoon
कह कोई ग़ज़ल
कह कोई ग़ज़ल
Shekhar Chandra Mitra
“गुरु और शिष्य”
“गुरु और शिष्य”
DrLakshman Jha Parimal
"चलो जी लें आज"
Radha Iyer Rads/राधा अय्यर 'कस्तूरी'
महादेव
महादेव
C.K. Soni
मुझे किराए का ही समझो,
मुझे किराए का ही समझो,
Sanjay ' शून्य'
मजदूर दिवस पर
मजदूर दिवस पर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अपने माँ बाप पर मुहब्बत की नजर
अपने माँ बाप पर मुहब्बत की नजर
shabina. Naaz
लोगों के रिश्तों में अक्सर
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
Jogendar singh
शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
Mohan Bamniya
कितनी सहमी सी
कितनी सहमी सी
Dr fauzia Naseem shad
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...